भारतीय संस्कृति में चंद्रमा और उसके त्योहारों का विशेष स्थान है। उनमें से एक प्रमुख त्योहार है Sharad Purnima। यह त्योहार न केवल धार्मिक दृष्टि से विशेष माना जाता है, बल्कि इसके पीछे कई वैज्ञानिक और प्राकृतिक कारण भी छिपे हैं। शरद पूर्णिमा का त्योहार हिंदू पंचांग की अनुसार आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। 2025 में यह दिन 6 अक्टूबर, सोमवार को पड़ेगा। इस दिन से शरद ऋतु की शुरुआत होती है।
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Sharad Purnima का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
शरद पूर्णिमा को खास इसलिए माना जाता है क्योंकि शास्त्रों के अनुसार इस दिन चंद्रमा सोलह कलाओं (गुणों) से युक्त होता है। इसे अमृत की वर्षा करने वाला भी माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा की रोशनी में रखा गया खाना, खासकर खीर, भाग्य संवारने वाला होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने इस दिन महारास का आयोजन किया था। इसलिए इस दिन भव्य ध्यान, पूजा और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।
Sharad Purnima पर भद्रा काल क्या है?
इस साल 2025 में शरद पूर्णिमा के दिन भद्रा काल भी रहेगा। भद्रा एक समय अवधि होती है जिसमें कोई भी शुभ कार्य, पूजा या धार्मिक अनुष्ठान करने से बचना चाहिए क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है। इस वर्ष भद्रा काल दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से शुरू होकर रात 10 बजकर 53 मिनट तक रहेगा।
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क्यों भद्रा काल का ध्यान रखना आवश्यक है?
भद्रा काल में किए गए कार्य सफल नहीं होते या उनका प्रभाव उल्टा हो सकता है। इसलिए ज्योतिष और धार्मिक नियमों के अनुसार इस समय कोई शुभ मुहूर्त या अनुष्ठान नहीं करना चाहिए। शरद पूर्णिमा पर खीर रखने का समय भी इसी भद्रा काल को ध्यान में रखकर चुना जाता है।
शरद पूर्णिमा पर खीर रखने का शुभ मुहूर्त
Sharad Purnima की रात को चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने की परंपरा बहुत पुरानी है। इसे धन, स्वास्थ्य और संबंधों में उन्नति देने वाला माना जाता है। इस साल 2025 में 6 अक्टूबर की रात 10:37 बजे से 12:09 बजे तक लाभ-उन्नति मुहूर्त रहेगा। हालांकि, इस मुहूर्त के पहले 10:53 बजे तक भद्रा काल भी रहेगा। तो खीर रखने का सही समय भद्रा काल के बाद ही है यानी 10:53 बजे के बाद।
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शरद पूर्णिमा पर व्रत और सावधानियां
यदि Sharad Purnima पर व्रत रखने की योजना हो, तो जलाहार या फलाहार का विकल्प सर्वोत्तम होता है। इस दिन सात्विक आहार ग्रहण करना शुभ माना जाता है। शरीर और मन दोनों को शुद्ध और शांत रखने से चंद्रमा से अमृत की वर्षा का अधिक लाभ मिलता है। इसके अलावा, इस दिन मांसाहार, मदिरापान और नकारात्मक भावनाओं जैसे घृणा, द्वेष और अहंकार से बचना चाहिए। इससे आत्मा और परिवार में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
शरद पूर्णिमा के वैज्ञानिक पहलू
Sharad Purnima को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन चंद्रमा की रोशनी पृथ्वी पर समान और अधिक तीव्र होती है। इसके कारण भूमि पर नमी बनी रहती है और वातावरण शांत होता है। वृद्धों और बच्चों के लिए यह पौष्टिकता बढ़ाने वाला दिन होता है। खीर जैसी मिठाइयों को चंद्रमा की रोशनी में रखने से उनमें ऊर्जा बढ़ती है, जो सेहत के लिए लाभकारी मानी जाती है।
शरद ऋतु का आगम और इसका महत्व
Sharad Purnima से ही शरद ऋतु शुरू होती है। यह ऋतु मौसम में ठंडक और शीतलता लेकर आती है। इस मौसम में पेड़-पौधे फल और फूल देते हैं। यह ऋतु खेती के लिए भी महत्वपूर्ण होती है क्योंकि फसल कटाई का समय होता है। शरद पूर्णिमा का त्योहार इस ऋतु के स्वागत में उत्साह और उमंग लेकर आता है।
Sharad Purnima पर किए जाने वाले अनुष्ठान
Sharad Purnima के दिन चंद्रमा की पूजा, भजन-कीर्तन और ध्यान का विशेष महत्व होता है। लोग अपने घरों में साफ-सफाई करते हैं, मिठाइयां बनाते हैं और जरूरतमंदों को दान करते हैं। खीर या अन्य किसी पौष्टिक व्यंजन को चंद्रमा की चमक में रखकर बाद में मेहमानों और परिवार में बांटना शुभ माना जाता है।
आधुनिक समय में शरद पूर्णिमा
आज के समय में Sharad Purnima को स्वास्थ्य और योग के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। योग और ध्यान करने वाले इस दिन चंद्रमा की ऊर्जा का अनुभव करते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी इस दिन हल्का भोजन और मानसिक शांति की सलाह देते हैं।
निष्कर्ष
Sharad Purnima न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण त्योहार है। 6 अक्टूबर 2025 को आने वाली यह पूर्णिमा भद्रा काल के कारण थोड़ा विशेष है, जिसमें खीर रखने का शुभ समय भद्रा काल के समाप्ति के बाद ही माना गया है। इस दिन सात्विक भोजन, उपवास, और सच्चे मन से की गई पूजा से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। शरद पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर सभी को सही नियमों का पालन करते हुए त्योहार मनाना चाहिए ताकि चंद्रमा की अमृतधारा का लाभ सभी तक पहुंचे।
Disclaimer:
यह ब्लॉग केवल सामान्य जानकारी के लिए बनाया गया है। इस ब्लॉग में दी गयी जानकारी विभिन्न समाचार स्त्रोत से लिया हुआ है। इसमें दी गई जानकारी को किसी भी पूजा या धार्मिक कार्य के लिए अंतिम सत्य न मानें। कृपया अपने स्थानीय ज्योतिष या पंडित से सलाह लेकर ही कोई भी धार्मिक अनुष्ठान करें। लेखक या वेबसाइट इस जानकारी से हुए किसी नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। कृपया अपनी इसे समझदारी से अपनाएं।
FAQ: Sharad Paurnima
प्रश्न 1: शरद पूर्णिमा 2025 कब है?
उत्तर: शरद पूर्णिमा 2025 में 6 अक्टूबर, सोमवार को है। यह आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है।
प्रश्न 2: शरद पूर्णिमा का महत्व क्या है?
उत्तर: इस दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से पूर्ण होता है और अमृत की वर्षा करता है। इसे मां लक्ष्मी का आगमन और भगवान कृष्ण की महारास रासलीला का दिन भी माना जाता है। खीर चांदनी रात में रखने से भाग्य संवरता है।
प्रश्न 3: भद्रा काल क्या है और यह कब रहेगा?
उत्तर: भद्रा काल एक अशुभ समय है जिसमें शुभ कार्य नहीं किए जाते। 6 अक्टूबर 2025 को भद्रा काल दोपहर 12:23 बजे से रात 10:53 बजे तक रहेगा। शरद पूर्णिमा पर खीर भद्रा काल के बाद ही रखनी चाहिए।