कर्नाटक में RSS पर बैन को लेकर राजनीतिक बवाल छिड़ गया है। केरल के बाद अब कर्नाटक राज्य में यह चित्र दीखने लगा हे। कर्नाटक राज्य के ग्रामीण विकास और पंचायत राज मंत्री प्रियांक खड़गे ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिख कर सार्वजनिक स्थानों और सरकारी परिसरों में RSS की गतिविधियों पर बैन लगाने की मांग की है। इस पत्र में मंत्री खड़गे ने आरोप लगाया है कि RSS की गतिविधियां संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ हैं और युवाओं के बीच असहमति और नफरत फैलाने वाली हैं। मुख्यमंत्री ने इस विषय पर जांच के लिए मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं, जिससे राज्य में इस मामले पर व्यापक चर्चा हो रही है।
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मंत्री प्रियांक खड़गे का पत्र
मंत्री प्रियांक खड़गे ने अपने पत्र में बताया कि RSS बिना पुलिस की अनुमति के सरकारी स्कुल, पार्किंग, मंदिरों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर ‘शाखा बैठक’ जैसी गतिविधियां आयोजित कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि RSS के कार्यकर्ता लाठी लेकर सार्वजनिक स्थानों पर भय फैलाते हैं, जिसका बच्चों और युवाओं के मन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मंत्री खड़गे ने यह मांग की हे की RSS की इन गति विधियों पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए ताकि देश की एकता और संविधान के आदर्शों की सुरक्षा हो सके।
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मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की प्रतिक्रिया
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने खड़गे के पत्र पर संज्ञान लेते हुए मुख्य सचिव शालिनी रजनीश को इस मसले की जांच और उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। अबी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की सरकार इस मुद्दे पर विचार कर रही है कि कौनसे सार्वजनिक और सरकारी जगहों पर RSS की गतिविधियां रोकी जाएं, जिससे सामाजिक शांति बनी रहे। उन्होंने कहा है कि सरकारी जमीनों और सार्वजनिक स्थानों में RSS की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने से संबंधित निर्णय जल्द ही आयेगा।
राजनीतिक विवाद और BJP की प्रतिक्रिया
इस प्रस्ताव पर भाजपा ने कड़ा विरोध किया है। कर्नाटक के भाजपा अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने कहा कि RSS सदियों से राष्ट्रहित में कार्य करती रही है और उसके खिलाफ यह आंदोलन राजनीतिक रूप से प्रेरित है। उन्होंने इसे कांग्रेस की सरकार की विफलताओं से ध्यान हटाने का प्रयास बताया गया है। इसके अलावा, भाजपा ने कहा है कि RSS के सदस्यों ने कभी अनुशासनहीनता का परिचय नहीं दिया है और यह एक देशभक्त संगठन है।
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सामाजिक और संवैधानिक पहलू
मंत्री खड़गे के अनुसार RSS की विचारधारा और गतिविधियां भारत के एकता और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि जब नफरत फैलाने वाली ताकतें सक्रिय होती हैं तो संविधान और राज्य के पास उपाय करने का अधिकार होता है। इस प्रतिबंध का लक्ष्य बच्चों और युवाओं को नकारात्मक प्रभाव से बचाना है और सामाजिक समता बनाए रखना है। वहीं, भाजपा की तरफ से इसे देश की ताकतों के बीच वैचारिक टकराव के रूप में देखा जा रहा है।
RSS के बारे में
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) भारत का एक हिंदू राष्ट्रवादी और स्वयंसेवी संगठन है जिसकी स्थापना 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर में की थी। इसका मुख्य उद्देश्य हिंदू समाज को संगठित करना, हिंदू संस्कृति और राष्ट्रीय मूल्यों को बढ़ावा देना तथा युवाओं में अनुशासन और चरित्र निर्माण के जरिए राष्ट्र निर्माण में योगदान देना है। RSS विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन माना जाता है और इसे भारतीय जनता पार्टी का प्रभावशाली मुख्य संगठन माना जाता है। यह संगठन सामाजिक सेवा और राष्ट्रीय एकता के लिए काम करता है, पिछले कई सालो यह देखा गया हे की RSS पर सामाजिक द्वेष फ़ैलाने के आरोप लगे है। कई बार इसके राजनीतिक और सामाजिक विवाद भी रहे हैं.
निष्कर्ष
कर्नाटक में RSS पर बैन लगाने की मांग ने एक बड़े राजनीतिक और सामाजिक विवाद को जन्म दिया है। इस मुद्दे पर सरकार की जांच जारी है और इसका असली फैसला आने वाले दिनों में होनेवाला है। इस मामले में राजनीतिक दलों के बीच तकरार के साथ ही सामाजिक संगठनों और आम जनता की भी गहरी दिलचस्पी बनी हुई है। अब यह मुद्दा फिर से मीडिया हाईलाइट बन गया है।
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