RBI MPC Meeting 2025 Highlights: गवर्नर संजय मल्होत्रा के बड़े ऐलान, जानें आम आदमी से लेकर कंपनियों पर असर

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee – MPC) की बैठक आज खत्म हो चुकी है। इस बैठक का बाजार और आम जनता दोनों को बेसब्री से इंतजार था क्योंकि सबकी नजर इस बात पर थी कि क्या RBI ब्याज दरों में बदलाव करेगा या नहीं। लेकिन इस बार RBI ने बड़ा फैसला लेते हुए नीतिगत ब्याज दरों को जस का तस (Status Quo) रखने का ऐलान किया है।

इसका सीधा मतलब है कि EMI, लोन और डिपॉजिट रेट्स में फिलहाल कोई बदलाव नहीं होगा।

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नीतिगत ब्याज दर (Policy Rates) – क्या बदला और क्या जस का तस?

इस बैठक में RBI ने अपनी प्रमुख दरों को बिना बदलाव के रखने का फैसला किया।

रेपो रेट (Repo Rate): 5.50%

SDF (Standing Deposit Facility): 5.25%

MSF (Marginal Standing Facility): 5.75%

MPC का रुख: Neutral (तटस्थ)

सभी 6 सदस्यों ने दरों को जस का तस रखने पर सहमति जताई।

इससे साफ है कि RBI फिलहाल न तो ब्याज दरें घटाना चाहता है और न ही बढ़ाना। वह इंतजार की स्थिति में है, ताकि महंगाई और ग्रोथ दोनों को संतुलित रखा जा सके।

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RBI का महंगाई (Inflation) पर नजरिया

भारतीय रिज़र्व बैंक लगातार महंगाई पर कड़ी नजर रखे हुए है। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि आने वाले कुछ महीनों में महंगाई कम होगी।

  • FY26 के लिए महंगाई (CPI) का अनुमान 3.1% से घटाकर 2.6% कर दिया गया है।
  • FY27 की पहली तिमाही का अनुमान 4.9% से घटाकर 4.5% किया गया है।

इसका मतलब है कि आने वाले समय में खाने-पीने की चीजों और रोजमर्रा के सामान की कीमतों में राहत मिल सकती है।

महंगाई घटने के मुख्य कारण

GST रेशनलाइजेशन – टैक्स ढांचे में बदलाव होने के कारन महंगाई पर दबाव घटेगा।

अच्छा मॉनसून और खेती– अच्छी फसल के कारन खाद्य वस्तुओं की कीमतें स्थिर होंगी।

वैश्विक क्रूड ऑयल कीमतें – अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें स्थिर रहती हैं तो इसका फायदा भी महंगाई कम करने में हो सकता है।

लेकिन RBI ने यह भी चेतावनी दी है कि ग्लोबल अनिश्चितताएं (जैसे टैरिफ वार, ट्रेड वॉर और विदेशी बाजारों की सुस्ती) अभी भी महंगाई पर दबाव डाल सकती हैं।

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GDP ग्रोथ अनुमान (Economic Growth Forecast)

महंगाई के साथ-साथ RBI ने देश की ग्रोथ रेट (GDP) पर भी नया अनुमान जारी किया।

  • Q2 (जुलाई-सितंबर): 6.7% → 7%
  • Q3 (अक्टूबर-दिसंबर): 6.6% → 6.4%
  • Q4 (जनवरी-मार्च): 6.3% → 6.2%
  • FY27 Q1: 6.6% → 6.4%

इससे साफ है कि आने वाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर रहेगी, लेकिन रफ्तार थोड़ी धीमी पड़ सकती है।

RBI का मानना है कि घरेलू खपत और सर्विस सेक्टर की वजह से भारत की इकोनॉमी मजबूत बनी हुई है।

RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा के मुख्य बयान

बैठक के बाद RBI गवर्नर ने कई अहम बातें कहीं:

  1. मॉनसून और खरीफ फसल – भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती देंगे।
  2. GST रेशनलाइजेशन – महंगाई को कम करने में मदद करेगा।
  3. घरेलू मांग – मजबूत बनी हुई है, खासकर सर्विस सेक्टर में।
  4. विदेशी मुद्रा भंडार – 26 सितंबर तक $70,200 करोड़ पर स्थिर।
  5. FDI निवेश – जुलाई में 38 महीने के ऊपरी स्तर पर पहुंचा।
  6. रुपया – अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्थिर रखने के लिए RBI लगातार कदम उठा रहा है।

बैंकिंग और रेग्युलेटरी बदलाव

इस बार की मौद्रिक नीति में केवल ब्याज दरों पर ही नहीं, बल्कि बैंकिंग और NBFC सेक्टर के लिए भी बड़े ऐलान हुए।

  1. Expected Credit Loss (ECL) फ्रेमवर्क
  • यह 1 अप्रैल 2027 से लागू होगा।
  • इससे बैंकों के बैलेंस शीट अधिक पारदर्शी और सुरक्षित होंगी।
  1. बैंकों और ग्रुप कंपनियों का ओवरलैप
  • RBI ने अंतिम गाइडलाइंस में पाबंदी हटा दी है।
  • अब इसकी जिम्मेदारी बैंक बोर्ड पर होगी।
  1. NBFCs को राहत
  • हाई-क्वालिटी इंफ्रा प्रोजेक्ट्स और NBFC लोन पर वेटेज कम किया जाएगा।
  1. रुपये का आंतर्राष्ट्रीयकरण
  • अब AD बैंक नेपाल, भूटान और श्रीलंका के NRI ग्राहकों को रुपयों में लोन दे सकेंगे।
  1. एक्सपोर्ट सेक्टर में राहत
  • विदेशी मुद्रा खातों से राशि वापसी की समयसीमा 1 महीने से बढ़ाकर 3 महीने कर दी गई है।

शेयर बाजार और निवेशकों पर असर

RBI के इस फैसले का सीधा असर बाजार पर पड़ा है।

  • ब्याज दरें जस की तस रहने से बैंकिंग और NBFC स्टॉक्स को राहत मिली।
  • निवेशकों का भरोसा बढ़ा है क्योंकि RBI ने महंगाई कम करने और ग्रोथ स्थिर रखने के संकेत दिए हैं।
  • यह फैसला Dovish Pause कहलाता है, जिसका मतलब है कि RBI फिलहाल इंतजार की मुद्रा में है लेकिन भविष्य में रेट कट (Rate Cut) संभव हो सकता है।

आम जनता पर असर

लोगों के मन में यह सवाल है कि इसका उनकी EMI और लोन पर क्या असर होगा?

  • होम लोन और कार लोन की EMI – अभी फिलहाल जैसा हे वैसा ही रहेगा।
  • बचत खातों और FD पर ब्याज – बैंकों के फैसले पर निर्भर करेगा लेकिन बड़ा बदलाव नहीं होगा।
  • मकान, गाड़ी और बिज़नेस लोन लेने वाले – फिलहाल राहत की उम्मीद न करें, लेकिन आगे चलकर रेट कट हुआ तो EMI कम हो सकती है।

अंतरराष्ट्रीय नजरिया

भारत के साथ-साथ दुनिया भर की नीतिगत स्थिति भी बदल रही है। अमेरिका और यूरोप की सेंट्रल बैंकों ने महंगाई से निपटने के लिए ब्याज दरों को ऊंचा रखा है। भारत ने इस बार स्थिरता पर जोर दिया है, जिससे विदेशी निवेशकों (FDI और FPI) का भरोसा और बढ़ सकता है।

आगे क्या?

RBI के इस कदम से साफ है कि फिलहाल दरें स्थिर रहेंगी, लेकिन अगर महंगाई लगातार घटती रही तो अगले साल रेट कट की संभावना बढ़ जाएगी।

  • महंगाई का स्तर 4% या उससे नीचे आया तो RBI रेट कट कर सकता है।
  • घरेलू खपत और उद्योग निवेश अगर बढ़ते रहे तो ग्रोथ की स्थिति मजबूत होगी।
  • ग्लोबल बाजार में स्थिरता बनी रही तो रुपये और शेयर बाजार दोनों को फायदा होगा।
निष्कर्ष

RBI की इस बैठक से साफ है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अभी स्थिर है और महंगाई नियंत्रण में आने लगी है।
ब्याज दरों को जस का तस रखना आम जनता और उद्योग जगत दोनों के लिए एक संतुलित कदम है।

महंगाई कम होना, विदेशी निवेश बढ़ना और रुपये का अंतरराष्ट्रीयकरण – आने वाले वर्षों में भारत को और मजबूत बनाएगा।

फिलहाल RBI का यह फैसला संतुलित और दूरदर्शी नीति की तरफ इशारा करता है।

Disclaimer:

इस ब्लॉग में दी गई जानकारी भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक और विश्वसनीय समाचार स्रोतों पर आधारित है। यह सिर्फ जानकारी देने के लिए है। यहाँ लिखी बातें किसी भी तरह की निवेश या वित्तीय सलाह नहीं हैं। किसी भी आर्थिक निर्णय से पहले अपने वित्तीय सलाहकार या बैंक से सलाह जरूर लें।

RBI Monetary Policy 2025-FAQ

Q1. RBI ने रेपो रेट कितना रखा है?
RBI ने रेपो रेट 5.50% पर जस का तस रखा है।

Q2. SDF और MSF रेट क्या हैं?
SDF रेट 5.25% और MSF रेट 5.75% हैं।

Q3. RBI का पॉलिसी रुख क्या है?
RBI का रुख Neutral (तटस्थ) है, यानी न बढ़ोतरी न कटौती।

Q4. महंगाई का अनुमान कितना है?
FY26 के लिए महंगाई का अनुमान घटाकर 2.6% किया गया है।

Q5. GDP ग्रोथ का अनुमान क्या है?
Q2 में 7%, Q3 में 6.4%, Q4 में 6.2% और FY27 Q1 में 6.4% अनुमानित है।

Q6. EMI पर क्या असर होगा?
अभी कोई बदलाव नहीं होगा, आगे चलकर रेट कट होने पर EMI कम हो सकती है।

Q7. आम जनता और कंपनियों को क्या फायदा है?
महंगाई घटने की उम्मीद है, बैंकिंग सेक्टर को राहत मिलेगी और रुपये का अंतरराष्ट्रीय उपयोग बढ़ेगा।

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