IRCTC घोटाले में लालू परिवार को बड़ा झटका: दिल्ली कोर्ट ने लालू, राबड़ी और तेजस्वी पर आरोप किए तय, अब चलेगा ट्रायल

IRCTC घोटाला: राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव की मुश्किलें सोमवार को उस समय बढ़ गईं जब दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने आईआरसीटीसी (IRCTC) घोटाला मामले में उनके खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया। कोर्ट के इस फैसले के साथ ही लालू परिवार के खिलाफ अब औपचारिक रूप से मुकदमा शुरू करने का रास्ता साफ हो गया है।

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IRCTC घोटाला: कोर्ट ने क्या कहा?

विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने की अदालत ने फैसला सुनाते हुए सीबीआई के तर्कों को स्वीकार किया और पाया कि पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने अपने पद का दुरुपयोग किया और टेंडर प्रक्रिया में दखलअंदाजी कर धोखाधड़ी की साजिश रची।

न्यायालय की टिप्पणी: कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि यह घोटाला लालू यादव की जानकारी में हुआ था और इस व्यापक साजिश से उनके परिवार को फायदा हुआ। विशेष रूप से, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को बेहद कम दाम पर कीमती जमीनें मिली थीं।

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लालू परिवार पर कौन-से आरोप तय?

कोर्ट ने लालू परिवार और इस मामले के अन्य 14 आरोपियों के खिलाफ उनकी कथित भूमिका के आधार पर विभिन्न धाराओं में आरोप तय किए हैं:

आरोपी मुख्य धाराएँ आरोप
लालू प्रसाद यादव IPC की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी), और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PC Act) की धारा 13(2) व 13(1)(d) लोक सेवक के रूप में आपराधिक कदाचार और पद का दुरुपयोग करते हुए धोखाधड़ी की साजिश।
राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव IPC की धारा 120बी (आपराधिक साजिश) और 420 (धोखाधड़ी) धोखाधड़ी की साजिश और लाभ प्राप्त करना।

कोर्ट में मौजूद लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव से जब न्यायाधीश ने पूछा कि क्या वे आरोपों को स्वीकार करते हैं, तो तीनों ने खुद को निर्दोष बताते हुए आरोपों को अस्वीकार कर दिया। लालू यादव ने कहा कि वे इस मुकदमे का सामना करेंगे।

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क्या है IRCTC घोटाला?

यह मामला लालू प्रसाद यादव के 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री के कार्यकाल से जुड़ा है:

  • टेंडर में धांधली: आरोप है कि लालू यादव ने रेल मंत्री के रूप में, IRCTC के दो होटलों (बीएनआर रांची और बीएनआर पुरी) के रखरखाव और संचालन का ठेका एक निजी फर्म ‘सुजाता होटल प्राइवेट लिमिटेड’ को अनुचित तरीके से आवंटित किया।
  • जमीन का लेन-देन: सीबीआई का आरोप है कि इस ‘सौदे’ के बदले में, लालू प्रसाद यादव को पटना में एक बेनामी कंपनी (डिलाइट मार्केटिंग कंपनी) के माध्यम से 3 एकड़ बेशकीमती जमीन मिली, जिसे बाद में लालू परिवार के सदस्यों (राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव) को बेहद कम कीमत पर ट्रांसफर कर दिया गया।
  • जांच: सीबीआई ने इस मामले में जुलाई 2017 में एफआईआर दर्ज की थी और लालू व उनके परिवार के ठिकानों पर छापेमारी भी की थी।

IRCTC घोटाला: आगे क्या होगा?

आरोप तय होने के साथ ही अब यह मामला ट्रायल के चरण में प्रवेश कर गया है। कोर्ट जल्द ही इस मामले में गवाहों के बयान और सबूतों की जांच के लिए अगली तारीख तय करेगा। हालांकि, यह कानूनी प्रक्रिया लंबी हो सकती है, लेकिन बिहार चुनाव से ठीक पहले आए इस फैसले ने लालू परिवार के लिए कानूनी और राजनीतिक दोनों मोर्चों पर बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। लालू परिवार के लिए अब एकमात्र कानूनी रास्ता ट्रायल में खुद को निर्दोष साबित करना है।

निष्कर्ष और आगे की राह

IRCTC घोटाला: दिल्ली कोर्ट का यह फैसला लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के लिए बड़ा कानूनी और राजनीतिक झटका है। हालांकि, आरोप तय होने का यह अर्थ नहीं है कि वे दोषी साबित हो गए हैं; यह केवल ट्रायल (मुकदमे) की शुरुआत है, जिसमें सीबीआई को सभी आरोपों को संदेह से परे साबित करना होगा। लालू परिवार ने इस मामले को राजनीति से प्रेरित बताकर चुनौती देने का फैसला किया है, जिसका साफ अर्थ है कि यह कानूनी लड़ाई लंबी चलने वाली है।

बिहार की राजनीति में सक्रिय तेजस्वी यादव के लिए यह फैसला आगामी चुनावों के बीच कानूनी मोर्चे पर बड़ी बाधा उत्पन्न कर सकता है, क्योंकि अब उन्हें नियमित रूप से कोर्ट की सुनवाई में शामिल होना पड़ सकता है।

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