छठ पूजा 2025: तारीख, पूजा विधि, महत्व और व्रत कथा जानिए विस्तार से

वैसे तो भारत, त्योहारों का देश है, तरह तरह त्योहार हर महीने हर प्रान्त में मनाया जाता है और इन्हीं में से एक सबसे अनोखा, कठिन और पवित्र पर्व है छठ पूजा (Chhath Puja)। यह मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के क्षेत्रों में मनाया जाने वाला महापर्व है, जो अब देश और दुनिया के कई हिस्सों में फैल चुका है।

Chhath Puja केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि प्रकृति और सूर्य की उपासना का प्रतीक है। भारत का यह एकमात्र ऐसा वैदिक त्योहार है जिसमें डूबते और उगते, दोनों सूर्यों की पूजा की जाती है। चार दिनों तक चलने वाले इस व्रत में स्वच्छता, पवित्रता और सादगी पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

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Chhath Puja का महत्व

Chhath Puja सूर्य देव (Surya Dev) और छठी मैया (Chhathi Maiya) को समर्पित है।

  • सूर्य देव की उपासना: सूर्य को ऊर्जा, जीवन शक्ति और स्वास्थ्य का देवता माना जाता है। छठ पूजा में लोग सीधे सूर्य की किरणों के समक्ष खड़े होकर उनकी पूजा करते हैं ताकि उन्हें जीवन में सुख-समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त हो सके।
  • छठी मैया: इन्हें संतान की देवी माना जाता है, जिन्हें वेदों में ऊषा (प्रभात की देवी) के नाम से भी जाना जाता है। संतान प्राप्ति, संतान के सुखद जीवन और परिवार की मंगल कामना के लिए यह व्रत रखा जाता है।

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चार दिवसीय महापर्व

यह व्रत बहुत कठोर होता है, जिसमें व्रती (व्रत रखने वाले) लगातार 36 घंटे तक निर्जला (बिना पानी) व्रत रखते हैं। उत्सव के  चार मुख्य दिन इस प्रकार हैं:

दिन नाम  अनुष्ठान
पहला दिन नहाय-खाय (Nahay-Khay) इस दिन व्रती स्नान के बाद घर की साफ़-सफ़ाई करते हैं और सात्विक भोजन (कद्दू-भात) ग्रहण करते हैं। इसके बाद से ही व्रत की शुरुआत हो जाती है।
दूसरा दिन खरना (Kharna) पूरे दिन का उपवास रखा जाता है और शाम को गन्ने के रस या गुड़ से बनी खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण किया जाता है। इसके बाद से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है।
तीसरा दिन संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya) यह सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। व्रती और परिजन नदी या घाट पर जाकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य (जल का चढ़ावा) देते हैं।
चौथा दिन उषा अर्घ्य / पारण (Usha Arghya / Paran) अगले दिन सुबह, उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद व्रती प्रसाद ग्रहण कर अपना व्रत तोड़ते हैं, जिसे पारण कहा जाता है।
प्रसाद और सामग्री

छठ पूजा (Chhath Puja) का प्रसाद अत्यंत पवित्र होता है और इसे मिट्टी के चूल्हे पर पकाया जाता है।

  • ठेकुआ (Thekua): यह छठ पूजा का मुख्य प्रसाद है, जो गुड़ या चीनी और आटे से बना एक मीठा पकवान होता है।
  • अन्य प्रसाद: चावल के लड्डू (Kasar), गन्ना (Sugarcane), नींबू (Lemon), नारियल (Coconut), और विभिन्न मौसमी फल।

सभी प्रसाद को बांस की बनी टोकरी (सूप/दउरा) में सजाकर घाट तक ले जाया जाता है।

छठ पूजा की पौराणिक कहानियाँ (Mythological Stories)

छठ पूजा (Chhath Puja) उत्सव से जुड़ी कई पुरानी और खास कहानियाँ हैं, जिनसे इस पूजा का महत्व और बढ़ जाता है।

राम और सीता की कहानी

पुराने समय की बात है, जब भगवान राम रावण को हराकर अयोध्या लौटे, तो उन्होंने और माता सीता ने राजपाट संभालने से पहले सूर्य षष्ठी के दिन यह व्रत रखा था। उन्होंने सूर्य देवता की पूजा की और उनसे आशीर्वाद लिया। माना जाता है कि तभी से यह उत्सव मनाया जाने लगा।

दानवीर कर्ण की कहानी

महाभारत काल के महान योद्धा, सूर्य पुत्र कर्ण हर दिन सूर्य की पूजा करते थे। वह घंटों पानी में खड़े होकर सूर्य देवता को जल चढ़ाते थे। माना जाता है कि कर्ण सबसे पहले छठ पूजा (Chhath Puja) का व्रत करने वालों में से थे। सूर्य की पूजा से ही उन्हें इतनी शक्ति और दान देने का गुण मिला था।

पांडवों और द्रौपदी की कहानी

एक और कहानी पांडवों और उनकी पत्नी द्रौपदी की है। जब पांडव जुए में अपना सब कुछ हार गए और मुश्किल में थे, तब द्रौपदी ने सूर्य देवता को खुश करने के लिए यह छठ व्रत रखा था। कहते हैं कि इस व्रत के कारण ही पांडवों को उनका खोया हुआ राजपाट और इज़्ज़त वापस मिली।

छठी मैया कौन हैं?

छठी मैया, जिनकी पूजा छठ में होती है, उन्हें बच्चों की देवी माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, उन्हें षष्ठी देवी या ऊषा (सुबह की देवी) भी कहते हैं। लोगों का मानना है कि छठी मैया बच्चों की रक्षा करती हैं और उन्हें अच्छा स्वास्थ्य देती हैं।

आधुनिक परिदृश्य

आज Chhath Puja अपनी पारंपरिक सीमाओं को पार करके वैश्विक पहचान बना चुकी है। चाहे दिल्ली का यमुना घाट हो, मुंबई के समुद्र तट हों, या विदेशों में रहने वाले प्रवासी भारतीय हों, सभी इस उत्सव को उसी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाते हैं। यह त्योहार हमें प्रकृति के साथ जुड़ने और सादगीपूर्ण जीवन जीने का संदेश देता है।

निष्कर्ष

Chhath Puja सिर्फ सूर्य को अर्घ्य देने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह धैर्य, शुद्धि, और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का पर्व है। यह हमें सिखाता है कि जीवन में सफलता पाने के लिए कठिन तपस्या और अटूट विश्वास आवश्यक है।

डिस्क्लेमर:

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