धनतेरस 2025 की तारीख और शुभ मुहूर्त घोषित, इस दिन करें माँ लक्ष्मी की पूजा और खरीदें ये जरूरी चीजें

दिवाली का त्योहार भारत में अति प्रिय है, और इसकी शुरुआत होती है Dhanteras से। धनतेरस को धन-त्रयोदशी भी कहते हैं। इस दिन हम माता लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरी की पूजा करते हैं। इस पावन अवसर पर शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, समय और खरीदारी की परंपराएँ जानना सभी के लिए महत्वपूर्ण है।

Dhanteras की तिथि और 2025 में कब है?

  • इस वर्ष Dhanteras 2025 शनिवार, 18 अक्टूबर को है।
  • ध्यान रहे, पंचांगानुसार त्रयोदशी तिथि 18 अक्टूबर दोपहर 12:18 बजे से शुरू होती है और 19 अक्टूबर दोपहर 1:51 बजे तक जारी रहती है।
  • परंतु, पूजा और खरीदारी की क्रियाएँ 18 अक्टूबर शाम के मुहूर्त में ही की जाएँगी, क्योंकि वह समय सबसे शुभ माना जाता है।

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शुभ मुहूर्त / पूजा समय

हर स्थान -दिल्ली, मुंबई, कोलकाता आदि – के लोकल पंचांग (स्थानीय अयन, लग्न आदि) के अनुसार थोड़ा समय अलग हो सकता है। नीचे दिल्ली और अन्य बड़े शहरों के लिए मुहूर्त दिए हैं:

शहर / स्थान पूजा शुभ मुहूर्त
नयी दिल्ली 07:16 PM से 08:20 PM
मुंबई 07:49 PM से 08:41 PM
कोलकाता 06:41 PM से 07:38 PM
बेंगलुरु 07:39 PM से 08:25 PM
पुणे 07:46 PM से 08:38 PM
जयपुर 07:24 PM से 08:26 PM
हैदराबाद 07:29 PM से 08:20 PM

अन्य शहरों के लिए भी लोकल पंचांग से देखा जाना चाहिए।

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कुछ अन्य समय अवधियाँ:

प्रदोष काल (Pradosh Kaal) – शाम के वक्त एक महत्वपूर्ण समय: लगभग 5:48 PM से 8:19 PM

वृषभ काल (Vrishabha Kaal) -इसे भी शुभ माना जाता है: लगभग 7:15 PM से 9:11 PM

इनमें से मुख्य समय है पूजा मुहूर्त (लगभग 07:16 PM से 08:20 PM) -इस दौरान देवी-देवताओं की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

Dhanteras का महत्व और पौराणिक संवाद

Dhanteras की पूजा सिर्फ धन-समृद्धि के लिए नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, आरोग्य और शुभ किस्मत के लिए भी होती है। नीचे इसकी पौराणिक और धार्मिक पृष्ठभूमि दी है:

  • “धन” का अर्थ है धन-संपत्ति और “तेरस” उस दिन को बताता है जो त्रयोदशी तिथि होती है।
  • एक पुरानी कथा है कि समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरी (जो आयुर्वेद के देवता कहे जाते हैं) अमृत लेकर प्रकट हुए। इसलिए उसी दिन को धनवान्-तेरस कहा गया।
  • इसके साथ ही माँ लक्ष्मी, देव-कुबेर और यमराज की पूजा की जाती है, ताकि धन की देवी हमारे घर में स्थिर हों, स्वास्थ्य बना रहे और मृत्यु से भय न हो।
  • इस दिन नए बर्तन, आभूषण, उपकरण आदि खरीदे जाते हैं -यह माना जाता है कि ये खरीदारी शुभ और लाभदायक होती है।
  • दीए, लाइट्स, सोना-चाँदी, उपहार आदि से घर को सजाया जाता है। दिवाली की शुरुआत इसी दिन होती है, इसलिए यह दिन “प्रारंभ” का महत्व रखता है।

Dhanteras पूजा विधि (कैसे करें धनतेरस पूजा?)

नीचे सरल चरण दर चरण पूजा विधि दी है:

सामग्री जो चाहिए होगी
  • लाल या सिंदूर का कपड़ा
  • दीपक / दीया और तेल / घी
  • कुछ हल्दी, सिंदूर, चावल (अक्षत्)
  • फूल और अगरबत्ती
  • तिलक सामग्री (रख-संकलन)
  • विभिन्न कटोरे जिसमें चावल, माँझा, मिठाई आदि हो
  • सोना, चाँदी, दीपक, नए बर्तन — कुछ खरीदारी के लिए
  • जल (पानी), कपूर, धूप
  • मूर्ति या तस्वीर — माँ लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरी, भगवान कुबेर
  • मिठाई, फल, नारियल
पूजा की प्रक्रिया
  • घर की सफाई और सजावट
    सुबह से ही घर की सफाई करें। दरवाजे, देव-स्थान, पूजा स्थान आदि को साफ करें। पूजा की जगह साफ-सुथरी रखें।
  • स्नान और स्वच्छ वस्त्र
    पूजा के पहले स्वयं स्नान करें और नए या साफ कपड़े पहनें।
  • मंत्र जाप और ध्यान
    पूजा आरंभ करने से पहले थोड़ी देर शांति से बैठकर मन को शमन करें।
  • दीप प्रज्ज्वलन और तिलक
    पूजा स्थान पर दीप (दीया) जलाएं। देवी की मूर्ति या चित्र पर हल्दी, चावल, सिंदूर से तिलक करें।
  • माँ लक्ष्मी, कुबेर एवं धन्वंतरी की पूजा
  • आरती
    सभी देवताओं की आरती करें। “ॐ जय लक्ष्मी माता…” आदि आरति गाएँ।
  • भोग अर्पण
    मिठाई, फल, नारियल आदि भोग के रूप में अर्पित करें।
  • प्रसाद वितरण
    पूजा समाप्ति पर प्रसाद को परिवार और प्रियजनों में बांटें।
  • धन की पूजा / वस्तु खरीदना
    पूजा के बाद (या उसी समय) यदि सोना, चाँदी, नए बर्तन आदि ख़रीदना हो, तो शुभ समय में करें।
  • दीपक जलाना (Yam Deepam)
    कुछ स्थानों पर यमराज को प्रसन्न करने के लिए घर के बाहर दक्षिण दिशा में दीप जलाते हैं।

नोट: यदि आप हवन करना चाहें, तो गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र आदि जपा जा सकते हैं।

Dhanteras शुभ समय (खरीदारी के लिए)

Dhanteras पर सोना, चाँदी, बर्तन आदि खरीदने का अपना महत्व है। ये समय अधिक शुभ माना जाता है -लेकिन किस समय ये क्रियाएँ करना चाहिए, वह भी जाना ज़रूरी है।

  • 18 अक्टूबर 2025 को दोपहर 12:18 बजे से लेकर 19 अक्टूबर 06:24 AM तक का समय खरीदारी के लिए शुभ माना गया है।
  • 19 अक्टूबर सुबह 06:24 AM से 01:51 PM तक भी यह समय शुभ है।
  • चोघड़िया अनुसार (शुभ मुहूर्तों से) -दिन और शाम के समय में “लाभ, अमृत, चारा” आदि मुहूर्तों को विशेष शुभ माना जाता है।
  • लेकिन मुख्य समय है 07:16 PM – 08:20 PM (लगभग) -इस समय पूजा और खरीदारी दोनों ही शुभ मानी जाती है।

सुझाव: यदि सुविधा हो, तो उसी समय में खरीदारी करें जो पूजा के समय से अधिक दूर न हो -ताकि देव-पूजा और खरीदारी का संयोजन हो सके।

Dhanteras दिव्य खरीदारी -कौन-कौन सी चीजें खरीदी जाएँ?

Dhanteras पर केवल शो-पीस नहीं, बल्कि उपयोगी और शुभ वस्तुएँ खरीदी जाती हैं। यह शुभ माना जाता है कि पूजा के बाद खरीदी हुई चीजों में देवी लक्ष्मी की कृपा स्थिर होती है।

नीचे कुछ प्रमुख वस्तुएँ दी हैं:

  • सोना / चाँदी / आभूषण -यह सबसे प्रसिद्ध और मुख्य खरीदारी है। सोने की अंगूठी, चेन, तोहफ़े आदि।
  • नए बर्तन / घरेलू सामान -जैसे तांबे के बर्तन, स्टील के बर्तन, कांच, फलदान आदि।
  • दीपक / बल्ब / लाइटिंग -घर की प्रकाश व्यवस्था सुधारने के लिए।
  • नई वस्त्र -नए कपड़े भी शुभ माना जाते हैं।
  • घड़ी, इलेक्ट्रॉनिक सामान -यदि ज़रूरत हो तो उपयोगी उपकरण।
  • धन के प्रतीक वस्तुएँ -जैसे कुबेर-यन्त्र, लक्ष्मी-सीम (लक्ष्मी की लकड़ी या चिपटी लकड़ी), गोमती चक्र आदि।
  • मिट्टी या तांबे के दीपक -पूजा स्थान को सजाने व रोशन करने के लिए।
  • मई-भोजन / मिठाई / प्रसाद सामग्री -पूजा के बाद प्रसाद बनाने के लिए।

ध्यान दें:

  • जितना संभव हो, उपयोगी वस्तुएँ खरीदें, जो रोज़मर्रा में काम आ सकें -इससे उनका महत्व बढ़ जाता है।
  • यदि पूरी खरीदारी एक ही समय में न हो सके, तो अलग-अलग शुभ मुहूर्तों में विभाजित कर सकें।
  • ऋण लेना या कर्ज चुकाना धनतेरस पर शुभ नहीं माना जाता।

Dhanteras शुभ संदेश और शुभकामनाएं

Dhanteras पर आप अपने मित्र, परिवार और प्रियजनों को कुछ सुंदर हिंदी संदेश भेज सकते हैं। नीचे कुछ उदाहरण दिए हैं:

  • इस धनतेरस पर माँ लक्ष्मी आपका घर धन-धान्य से भर दें, सुख, शांति और समृद्धि आपके साथ हो -शुभ धनतेरस!
  • जिस तरह दीपक अँधेरे को मिटाते हैं, उसी तरह माँ लक्ष्मी आपके जीवन की सभी कठिनाइयों को दूर करें -हैप्पी धनतेरस!
  • नया धरोहर, नई खुशियाँ, नई उम्मीदें -इस धनतेरस आपके जीवन में खुशियाँ और संपन्नता आये।
  • Dhanteras की हार्दिक शुभकामनाएँ! माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहे और आप सदैव सुखी रहें।
  • सोना-चाँदी, दीपक, सुख-शांति -सब आपका हो इस धनतेरस पर।

कुछ विशेष टिप्स और सावधानियाँ

  • पूजा के दौरान मन न विचलित हो – मन एकाग्र रखें।
  • यदि संभव हो, नव वस्त्र पहनें और स्वच्छ रहें।
  • पूजा स्थान पर स्वच्छता अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  • ऋण लेना या कर्ज चुकाना इस दिन टालना चाहिए।
  • खरीदारी करते समय कीमत, गुणवत्ता और उपयोगिता पर ध्यान दें।
  • पूजा के बाद तुरंत खरीदारी न करें -पहले देव-पूजा पूरी करें।
  • यदि समय थोड़ा बाद हो जाए, तो दूसरे शुभ मुहूर्तों की जानकारी देखें।
  • दीपक जलाते समय सावधानी रखें, आग लगने की संभावना न हो।
  • पूजा सामग्री और प्रसाद को साफ-सुथरी जगह रखें।
निष्कर्ष

Dhanteras सिर्फ पारंपरिक त्योहार नहीं है -यह समृद्धि, स्वास्थ्य, शुभ आरंभ और उत्साह का अवसर है। 2025 में यह 18 अक्टूबर को है। शाम 7:16 बजे से 8:20 बजे तक का समय विशेष शुभ माना गया है। पूजा विधि सरल है -दीप प्रज्ज्वलन, देवी-देवताओं की पूजा, मंत्र जाप और प्रसाद वितरण। खरीदारी करें -सोना, चाँदी या उपयोगी वस्तुएँ -लेकिन ऋण लेने से बचें। दिल से शुभ संदेश भेजें, हृदय से प्रसाद बाँटें, और मन से भक्ति करें।

Disclaimer: 

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Dhanteras : अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न १: क्या Dhanteras 2025 को 19 अक्टूबर को पूजा हो सकती है?
उत्तर: नहीं। क्योंकि त्रयोदशी तिथि 19 अक्टूबर तक चलती है, पर प्रमुख पूजा और खरीदारी 18 अक्टूबर शाम के शुभ मुहूर्त में की जाएँगी।

प्रश्न २: पूजा का सबसे शुभ समय कौन-सा है?
उत्तर: लगभग 07:16 PM से 08:20 PM (लगभग 1 घंटे 4 मिनट) -यह समय दिल्ली और अन्य शहरों में शुभ माना गया है।

प्रश्न ३: क्या खरीदारी सिर्फ सोना-चाँदी तक सीमित है?
उत्तर: नहीं। सोना-चाँदी तो मुख्य हैं, लेकिन नए बर्तन, घरेलू सामान, दीपक, वस्त्र आदि भी शुभ माने जाते हैं।

प्रश्न ४: क्या Dhanteras पर ऋण लेना या चुकाना उचित है?
उत्तर: नहीं माना जाता। इस दिन कर्ज देना या लेना अशुभ माना जाता है।

प्रश्न ५: क्या पूजा बिना मूर्ति के भी कर सकते हैं?
उत्तर: हां, यदि मूर्ति न हो तो तस्वीर, चित्र या त्रिकोणाकार रूप से देव-स्थान बना कर भी पूजा कर सकते हैं।

प्रश्न ६: यदि समय छूट जाए तो क्या करना चाहिए?
उत्तर: यदि मुख्य मुहूर्त छूट जाए, तो लोकल पंचांग में अगले उपयुक्त समय (विकल्पी मुहूर्त) देखें और उसी समय पूजा करें।

प्रश्न ७: क्या इस दिन हवन करना ज़रूरी है?
उत्तर: हवन नहीं अनिवार्य है, लेकिन यदि सुविधा हो और पंडित हो तो हवन करने से पूजा की श्रेष्ठता बढ़ती है।

प्रश्न ८: दीपक कहाँ जलाना चाहिए?
उत्तर: पूजा स्थल के अंदर जलाना चाहिए। साथ ही यमदीप (यदि करते हैं) दक्षिण दिशा के बाहर।

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