क्या आपने कभी सोचा कि भारत में लक्जरी कारें इतनी महंगी क्यों होती हैं? इसका एक बड़ा कारण है टैक्स, खासकर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST)। हाल ही में BMW, Audi और Mercedes-Benz जैसे बड़े लक्जरी कार निर्माताओं ने भारत सरकार से जल्द से जल्द GST नियमों में स्पष्टता लाने की मांग की है। खास तौर पर फेस्टिव सीजन के दौरान जब कारों की बिक्री बढ़ती है ये कंपनियां चाहती हैं कि ग्राहकों को सही जानकारी मिले ताकि वो बिना किसी कन्फ्यूजन के कार खरीद सकें। लेकिन ये मांग क्यों उठ रही है? और इसका आम लोगों और ऑटो इंडस्ट्री पर क्या असर होगा?
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GST का कन्फ्यूजन और लक्जरी कारों का बाजार

भारत में लक्जरी कारों पर अभी 28% GST और 15% से 22% अतिरिक्त सेस लगता है जिससे कुल टैक्स 50% तक पहुंच जाता है। अगर कार पूरी तरह आयात की गई है, तो 100% इम्पोर्ट ड्यूटी भी लगती है। इस भारी टैक्स की वजह से लक्जरी कारें बहुत महंगी हो जाती हैं, और ग्राहक अक्सर खरीदने से पहले दो बार सोचते हैं। हाल ही में खबर आई कि सरकार GST को दो स्लैब (5% और 18%) में बदलने की योजना बना रही है और लक्जरी कारों पर 40% टैक्स स्लैब हो सकता है। लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से कोई ऑफिसियल पुष्टि नहीं हुई है।
BMW ग्रुप इंडिया के प्रेसिडेंट और CEO, हरदीप सिंह बरार ने कहा, “ग्राहकों में कार खरीदने की चाहत तो है, लेकिन GST दरों को लेकर अनिश्चितता की वजह से वो इंतजार कर रहे हैं।“ यही कन्फ्यूजन बिक्री को प्रभावित कर रहा है, खासकर फेस्टिव सीजन में, जब लोग नई गाड़ियां खरीदना पसंद करते हैं। Audi इंडिया के हेड, बलवीर सिंह ढिल्लन ने भी कहा कि अगर सितंबर के पहले हफ्ते में GST नियम साफ हो जाएं, तो ग्राहकों का भरोसा बढ़ेगा और बिक्री में तेजी आएगी।
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फेस्टिव सीजन में बिक्री का सुनहरा मौका
भारत में फेस्टिव सीजन, जैसे कि ओणम, दशहरा और दिवाली, कारों की बिक्री के लिए सबसे अच्छा समय होता है। लोग इस दौरान नई गाड़ियां खरीदना पसंद करते हैं क्योंकि इसे शुभ माना जाता है। लेकिन GST स्लैब के असमंजस की वजह से कई ग्राहक अपनी खरीदारी टाल रहे हैं। मर्सिडीज-बेंज इंडिया के MD और CEO, संतोष अय्यर ने बताया, “हम फेस्टिव सीजन के लिए तैयार हैं और नए मॉडल्स लॉन्च करने वाले हैं, लेकिन GST की स्पष्टता से बिक्री को और बढ़ावा मिलेगा।
उदाहरण के लिए, अगर एक लक्जरी कार की कीमत 50 लाख रुपये है, तो उस पर 28% GST (14 लाख रुपये) और 22% सेस (11 लाख रुपये) लगता है। यानी कुल टैक्स 25 लाख रुपये! अगर नया 40% टैक्स स्लैब लागू होता है, तो टैक्स 20 लाख रुपये तक कम हो सकता है। इससे कार की कीमत में कमी आएगी, और ज्यादा लोग इसे खरीदने की सोच सकते हैं।
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इलेक्ट्रिक कारों पर GST का असर
लक्जरी कार निर्माता न केवल टैक्स कम करने की मांग कर रहे हैं बल्कि वो ये भी चाहते हैं कि इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) पर मौजूदा 5% GST लागू रहे। भारत में इलेक्ट्रिक कारों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने EVs पर टैक्स को बहुत कम रखा है। हरदीप सिंह बरार ने कहा, “अगर EV पर टैक्स बढ़ता है, तो भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की मैन्युफैक्चरिंग और बिक्री पर बुरा असर पड़ेगा।”
उदाहरण के लिए, एक इलेक्ट्रिक लक्जरी कार, जैसे BMW i4 या Audi e-tron, पर अभी सिर्फ 5% GST लगता है। अगर ये बढ़कर 18% या 40% हो जाता है, तो इनकी कीमतें आसमान छू सकती हैं, और लोग फिर से पेट्रोल-डीजल कारों की ओर रुख कर सकते हैं।
सरकार की योजना और GST काउंसिल की मीटिंग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2025 को अपने भाषण में कहा था कि सरकार एक नया और आसान GST सिस्टम लाने की तैयारी कर रही है, जो फेस्टिव सीजन से पहले लागू हो सकता है। GST काउंसिल, जिसकी चेयरपर्सन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण हैं, 3-4 सितंबर को मीटिंग करने वाली है। इस मीटिंग में दो स्लैब टैक्स सिस्टम पर चर्चा होगी। अगर ये लागू होता है, तो छोटी कारों पर 18% और लक्जरी कारों पर 40% टैक्स हो सकता है।
लेकिन कुछ राज्यों ने सुझाव दिया है कि लक्जरी कारों पर 40% टैक्स के साथ एक अतिरिक्त सेस भी लगाया जाए। इससे कीमतें फिर से बढ़ सकती हैं। यही वजह है कि कार निर्माता जल्द से जल्द स्पष्टता चाहते हैं ताकि वो अपनी कीमतें और ऑफर्स तय कर सकें।
ग्राहकों के लिए क्या हैं फायदे?
अगर GST में बदलाव होता है, तो ग्राहकों को कई फायदे हो सकते हैं। आइए, इसे आसान पॉइंट्स में समझते हैं:
- कम कीमतें: अगर लक्जरी कारों पर टैक्स 50% से घटकर 40% होता है, तो कार की कीमत 5-10 लाख रुपये तक कम हो सकती है।
- बढ़ता भरोसा: GST नियम साफ होने से ग्राहक बिना किसी डर के कार खरीदने का फैसला ले सकेंगे।
- इलेक्ट्रिक कारों को बढ़ावा: अगर EVs पर 5% GST बरकरार रहता है, तो ज्यादा लोग इलेक्ट्रिक कारें खरीद सकते हैं, जो पर्यावरण के लिए भी अच्छा है।
- नए मॉडल्स: कंपनियां फेस्टिव सीजन में नए मॉडल्स लॉन्च करने की योजना बना रही हैं, जिससे ग्राहकों को ज्यादा ऑप्शंस मिलेंगे।
कार निर्माताओं के लिए क्या है चुनौती?
लक्जरी कार निर्माता भारत को एक बड़ा बाजार मानते हैं, लेकिन हाई टैक्स की वजह से उनकी बिक्री सीमित रहती है। 2022 में भारत में सिर्फ 21,400 लक्जरी कारें बिकी थीं, जो कुल ऑटो मार्केट का 1% से भी कम है। तुलना करें तो चीन में लक्जरी कारें कुल मार्केट का 13% और अमेरिका में 10% हैं।
इसके अलावा, बार-बार बदलते टैक्स नियम भी कंपनियों के लिए मुश्किल खड़ी करते हैं। 2017 में भी GST नियमों में अचानक बदलाव से ऑटो इंडस्ट्री को झटका लगा था। कंपनियां चाहती हैं कि सरकार एक स्थिर टैक्स नीति बनाए ताकि वो लंबे समय के लिए प्लानिंग कर सकें।
ग्राहकों के लिए टिप्स: लक्जरी कार खरीदने से पहले क्या करें?
अगर आप लक्जरी कार खरीदने की सोच रहे हैं, तो ये टिप्स आपके काम आ सकते हैं:
- GST काउंसिल की मीटिंग का इंतजार करें: 3-4 सितंबर की मीटिंग के बाद टैक्स नियम साफ हो सकते हैं। तब तक थोड़ा इंतजार करें।
- ऑफर्स चेक करें: फेस्टिव सीजन में कंपनियां डिस्काउंट और फाइनेंसिंग स्कीम्स देती हैं। इनका फायदा उठाएं।
- इलेक्ट्रिक कारों पर नजर रखें: अगर आप EV खरीदने की सोच रहे हैं, तो 5% GST का फायदा अभी भी है।
- डीलर से बात करें: डीलर आपको लेटेस्ट अपडेट्स और कीमतों के बारे में बता सकते हैं।
निष्कर्ष:
लक्जरी कार निर्माताओं की मांग बिल्कुल जायज है। GST नियमों में स्पष्टता न केवल उनकी बिक्री बढ़ाएगी, बल्कि ग्राहकों को भी फायदा पहुंचाएगी। फेस्टिव सीजन में कार खरीदने का प्लान कर रहे लोगों के लिए ये एक सुनहरा मौका हो सकता है। अगर सरकार 40% टैक्स स्लैब को बिना सेस के लागू करती है, तो लक्जरी कारें सस्ती हो सकती हैं, और इलेक्ट्रिक वाहनों को भी बढ़ावा मिलेगा।
तो, अगर आप नई लक्जरी कार खरीदने की सोच रहे हैं, तो थोड़ा सब्र करें। GST काउंसिल की मीटिंग के बाद स्थिति साफ हो जाएगी, और आप सही समय पर सही डील पकड़ सकते हैं। क्या आप भी फेस्टिव सीजन में नई कार लेने की प्लानिंग कर रहे हैं? हमें कमेंट में बताएं!
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